BA Semester-3 HIndi Gadya - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2645
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर


अध्याय - 26 :
आत्मकथा (जूठन)

- ओमप्रकाश वाल्मीकि
(व्याख्या भाग)

1. त्यागियों के बच्चे ......................... चेष्टा थी

शब्दार्थ - चुहड़े का = वाल्मीकि जाति का। अजीब = विचित्र, अनोखी। यातनापूर्ण = कष्ट से भरी हुई। जिन्दगी = जीवन। मुझे = ओमप्रकाश वाल्मीकि को। अन्तर्मुखी = अपनी बात मन में सोचने वाला। तुनकमिजाज = असहनीय स्वभाव वाला। इन्तजार = प्रतीक्षा। बवेला = हल्ला, झगड़ा। सजा = दण्ड। हथकण्डे = ढंग। अनधिकार चेष्टा = ऐसी कोशिश करना जिसे करने का अधिकार न हो।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा 'जूठन' से लिया गया है। इस गद्यांश में ओमप्रकाश वाल्मीकि ने स्कूल में अपने साथ होने वाले अत्याचार और यातनापूर्ण व्यवहार पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या - लेखक कहता है कि त्यागी जाति के बच्चे उन्हें चूहड़े का कहकर काफी परेशान करते थे वे उन्हें तरह-तरह की प्रताड़नाएँ देते थे। कभी-कभी तो लेखक की बिना कारण पिटाई भी कर देते थे। इस यातनापूर्ण जिन्दगी ने उन्हें चिड़चिड़ा बना दिया था। लेखक का स्कूली जीवन भी परेशानी और कष्ट भरा था। विद्यालय में उच्च जाति के लड़के उनको हैण्डपंप छूने नहीं देते थे अगर प्यास लगे तो वे सवर्ण लड़कों की प्रतीक्षा करते थे। अगर ज्यादा प्यास लगने पर लेखक नल को छू लेता था तो उच्च जाति के लड़के उनको मारते ही थे साथ ही उन्हें अध्यापक के भी कोप का भाजन बनना पड़ता था। अध्यापक भी उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित करते थे। वे सभी तरह-तरह के हथकंडे अपना कर यही सोचते कि किसी तरह से मैं स्कूल छोड़ दूँ। अध्यापकों से लेकर अन्य बच्चों का मानना था कि मैं वही काम करूँ जिसे मेरे घरवाले करते आये हैं। वे लोग सोचते थे कि पढ़ने का अधिकार सिर्फ उच्च जाति को ही है। वाल्मीकि समाज को नहीं। अर्थात् उसका पढ़ना निरर्थक है।

विशेष -
1. प्रस्तुत पंक्तियों में जाति और जन्म के ऊँचेपन और नीचेपन की भावना प्रकट की गयी है तथा स्कूल मंस निम्न जाति पर होने वाले अत्याचार को दिखाया है।
2. भाषा - सरल, सुबोध और बोधगम्य है।
3. शैली -चिन्तन प्रधान है।

2. फसल कटाई को .................................. गेहूँ से भी कम।

शब्दार्थ — अक्सर= प्रायः। हुज्जत = कहा-सुनी, विरोध। ज्यादातर = बहुत से।मजबूरी= विवशता। ना-नुकर = विरोध। कुढ़ते रहते थे = मन में विरोध करते थे। दम तोड़ देता =समाप्त हो जाता था। मेहनताना = मेहनत करने का बदला, मजदूरी। तमाम= सब। हवा हो जाते=समाप्त हो जाते थे, नहीं माने जाते थे। मजूरी = मजदूरी। यानी = अर्थात्, मतलब यह है।

सन्दर्भ एवं प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा 'जूठन' से लिया गया है। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने गेहूँ की फसल की कटाई पर अपनी जाति के लोगों को मिलने वाली कम मजदूरी पर होने वाले असन्तोष का वर्णन किया है।

व्याख्या - लेखक कहता है कि साल में जब गेहूँ की कटाई का समय आता तो बहुत समय तक हमारी जाति में असन्तोष जैसा होता और आपस में काफी कहा सुनी हो जाती क्योंकि गेहूँ काटने की मजदूरी बहुत कम थी। गेहूँ की फसल काटने वाले वाल्मीकि जाति वालों की विवशता और लाचारी थी। मजदूरी के रूप में वाल्मीकि जाति के लोगों को जो भी मिलता था, उसको लेकर अपने घर आ जाते थे। भूख के सामने उनका विरोध समाप्त हो जाता था। अगर वे यह मजदूरी न करते और 'न लेते तो खाते क्या? हर साल गेहूँ की फसल को काटने के सम्बन्ध में वाल्मीकि जाति के मोहल्ले में कसमें खायी जाती थीं कि हम कम मजदूरी लेकर फसल नहीं काटेंगे, लेकिन गेहूँ की फसल का काटना शुरू होते ही उनकी बैठकों में होने वाले निश्चय और खायी गयी कसमें समाप्त हो जाती थीं। मजदूरी के रूप में इक्कीस पूलियाँ काटने पर एक पूली मिलती थी। एक पूली में एक किलोग्राम से भी कम गेहूँ निकलतें थे। अर्थात् एक आदमी के गेहूँ की फसल काटने के बदले में एक किलोग्राम से भी कम गेहूँ मिलते थे। अर्थात् एक दिन की मजदूरी सिर्फ एक किलो गेहूँ से भी कम थी। परन्तु क्या करें आखिर पापी पेट का सवाल है।

विशेष -
1. यहाँ मजदूरों के प्रति किसानों का शोषण दिखाया गया है।
2. मजदूरों की..... में भी शायद जीत है क्योंकि उनके घर में चूल्हा तो तभी जलेगा जब फसल की कटाई होगी।
3. भाषा -सरल एवं देहाती शब्दों से मिली-जुली है। साथ ही मुहावरों का सुन्दर प्रयोग हुआ है जैसे- कन्जूसी बरतना, दम तोड़ना आदि।

3. चुनाव प्रचार में ....................... इस्तेमाल कर रहे थे।

शब्दार्थ -जीवन = जिन्दगी रहने का ढंग। मौका = अवसर।ज्यादा = अधिक।संख्या = गिनती। मत = मतपत्र, वोट।समझ से बाहर = समझ में न आने वाला। मासूमियत = भोलापन।  आजादी = स्वतन्त्रता। मूल्यों= कीमत। अनजान= न जानने वाले।पहुँची ही कहाँ थी = नहीं पहुँची थी। सत्ता के दलाल = चुनाव जीतने में दलाली करने वाले, दूसरों को चुनाव में जिताने वाले। शोषण = सोखना, बुरा उपयोग करना। इस्तेमाल = प्रयोग।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा 'जूठन' से लिया गया है। इस गद्यांश के द्वारा लेखक ने सामान्यजन के वोट का महत्त्व न समझने की बात का वर्णन किया है।

व्याख्या - लेखक कहता है कि रुड़की में चुनाव प्रचार के समय हम लोग पैदल घूम-घूम कर जोर-शोर से प्रचार कार्य में लगे हुए थे। लेखक कुछ लड़कों के साथ बगैर मामा की अनुमति लिए इन्द्रेश नगर से रुड़की पहुँच गए। चुनाव प्रचार के दौरान वहाँ के लोगों को नजदीक से देखने और उनके जीवन की कार्यशैली को परखने का अनुभव हुआ। हमने उनके दुख दर्दों को सुना। उनके मन की पीड़ा का अहसास किया। रुड़की में हमें ऐसे मतदाता की संख्या अधिक मिली जो लोकतन्त्र और मत का सही-सही अर्थ जानते ही नहीं। वे मतों का मतलब सिर्फ और सिर्फ कागज के टुकड़ों को बाक्स में डालना ही समझते थे। वे नहीं जानते थे कि इस कागज के टुकड़े से ही लोकतन्त्र चलता है। यह सब उनकी समझ के बाहर था कितनी मासूमियत थी उनके चेहरे पर। वे लोग आजादी का मतलब ही समझे नहीं थे। लोगों के मन में बहुत अधिक अपराधहीनता की भावना थी। वे लोग न स्वतन्त्रता का अर्थ जानते थे और न उसकी कीमत को समझते थे। वास्तविकता तो यह है कि स्वतन्त्रता उन गाँवों तक नहीं पहुँची थी। वे स्वतन्त्रता का अर्थ कैसे जानते? जो सत्ता अर्थात् शासन के दलाल थे, वे उनका शोषण कर रहे थे, उनका अधिकार छीन रहे थे। वे लोग जनता का अपने हित के लिए प्रयोग कर रहे थे।

विशेष -
1. प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने गाँव की जनता को तत्कालीन समाज में आजादी और मत की विशेषता का कोई ज्ञान न होना दर्शाया गया है। ऐसे भोले-भाले लोगों का सत्ता के लोलुप व्यक्ति अधिकाधिक लाभ उठा रहे हैं।
2. भाषा - संस्कृत और उर्दू की शब्दों का आधिक्य।
3. शैली- विचार प्रधान है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
  8. प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  10. प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
  11. प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
  13. प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
  14. प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
  17. प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
  19. प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  20. प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
  22. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
  24. प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
  25. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
  28. प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
  32. प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
  33. प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
  35. अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
  36. प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
  38. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
  39. प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
  40. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
  41. प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  42. अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
  43. प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
  44. प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
  45. प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
  46. अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
  47. प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
  48. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
  50. अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
  51. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
  53. प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  54. अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
  55. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
  57. प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  58. अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
  59. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  61. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  66. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
  68. प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
  69. अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
  70. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  73. अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
  74. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
  75. प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
  77. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  78. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
  81. प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
  82. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  84. अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
  85. प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
  87. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
  88. प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  89. अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
  91. प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
  92. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
  93. अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  94. प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
  95. प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
  96. प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
  97. अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
  98. प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
  99. प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
  100. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  101. अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
  102. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
  103. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
  104. अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
  105. प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  106. प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
  108. प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
  109. अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
  110. प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
  111. प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  112. प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  113. अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  114. प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
  116. प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
  117. अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
  118. प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
  119. प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  120. अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
  121. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  122. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  123. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  124. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
  125. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
  127. अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
  128. प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
  130. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
  131. अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
  132. प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
  133. प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  135. अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
  136. प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
  137. प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  138. अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
  140. अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
  141. प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
  142. प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  143. अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
  144. प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  146. प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
  147. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।

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